लहू का रंग एक हैं Lyrics in hindi
नमस्कार दोस्तों क्या आप भी " लहू का रंग एक है अमीर क्या गरीब क्या " के lyrics को ढूंढ रहे हैं ? तो आप बिल्कुल सही स्थान पर हैं आज हम यहा पर " लहू का रंग एक है कविता " आपके साथ हिन्दी में साझा कर रहे हैं
इस कविता को 20 वी सदी के जाने माने उर्दू कवि मजरूह सुल्तानपुरी ने लिखा था। मजरूह सुल्तानपुरी उर्दू के बड़े शायरों मे से एक थे। उन्हीं कविताओ मे से हम आज एक प्रसिद्ध कविता " लहू का रंग एक हैं " पढ़ेंगे।
लहू का रंग एक है कविता
lahu ka rang ek hai lyrics
लहू का रंग हैं, अमीर क्या गअरीब क्या,
बने हैं एक खाक से, तो दूर क्या गरीब क्या।
वही है तन, वही हैं जान, कब तलक छुपाओगे,
पहन कर रेशमी लिबास, तुम बादल न जाओगे।
सभी हैं एक जाती हम, स्वर्ग क्या अवर्ण क्या,
लहू का रंग एक हैं, अमीर क्या गरीब क्या।
Har desh mein tu lyrics
गरीब हैं तो इसलिए कि तुम अमीर हो गए,
एक बादशाह हुआ, तो सौ फकीर हो गए।
खता हैं सब समाज की, भले बुरे नसीब क्या,
लहू का रंग एक हैं, अमीर क्या गरीब क्या।
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जो एक हैं तो फिर न क्यूँ, दिलों का दर्द बाँट ले,
जिगर कि प्यार बाँट ले, लबोन की प्यास बाँट लें।
लगा लो सबको तुम गले, हबीब क्या रकीब क्या,
लहू का रंग एक हैं अमीर क्या गरीब क्या।
लहू का रंग एक है
कोई जने हैं मर्द, तो कोई जनी हैं औरतें,
शरीर में भले हो फर्क, रूह सभी कि एक है।
एक हैं जो हम हम सभी, विषमता की लकीर क्या,
लहू का रंग एक हैं, अमीर क्या गरीब क्या।
आशा करता हूँ की आपको हमारी आज की यह कविता लहू का रंग एक है पसंद आया होगा।